हरिद्वार। पिछले दिनों सुरक्षाबलों की ब्रीफिग के दौरान गढ़वाल मण्डल आयुक्त रविनाथ रामन ने मीडिया से बेहतर समन्वय की भी अपील की थी,लेकिन लगता है सूचना विभाग के आपसी समन्वय की कमी का खमियाजा स्थानीय पत्रकारों को भुगतना पड़ रहा है

कुम्भ मेला के लिए तैनात सूचना विभाग के अधिकारियों एवं जिला सूचना विभाग में समन्वय का हाल यह है कि मेला अवधि के लिए पास जारी करने हेतु पत्रकारों से करीब बीस दिन पूर्व आवेदन प्रपत्र के साथ फोटो मांगे गये,मेलाकाल की अधिसूचना एक अप्रैल को जारी हो गयी,लेकिन मेला पास वितरण की शुरूआत 9अप्रैल से प्रारम्भ हुई,जबकि प्रथम शाही स्नान 12अप्रैल को है और इसके लिए मेला पुलिस की ओर से 8 अप्रैल से यातायात व्यवस्था को लेकर बंदिशे लागू कर दी गयी,लेकिन सूचना विभाग अपने हिसाब से चलते हुए 8 अप्रैल की सायकाल से मेला पास का वितरण प्रारम्भ किया,यहा तक तो फिर भी सामान्य स्थिति कही जा सकती है लेकिन मेला में तैनात सूचना विभाग के अफसरान की संवेदनशीलता तब सामने आने लगी जब ज्ञात हुआ कि करीब बीस से अधिक पत्रकारों के मेला पास या तो बन कर गायब हो गये,या फिर नही बन पाये,उपर से जब सूचना नोडल अधिकारी से सम्पर्क करने पर कहा गया कि सभी पास बन गये,लेकिन जिला सूचना कार्यालय की वजह से पास गायब हो गये। यानि जिम्मेदारी लेने के बजाए टालने का प्रयास किया गया। जब कुछ पत्रकारों ने नाराजगी जताई तो कहा गया कि फिर से कागजात जमा कराओ मेला पास बन जायेगा। शासन के साथ – साथ मेला प्रशाासन भी दिव्य भव्य मेला सम्पन्न कराने की बात लगातार कर रहे है। मेला सम्पन्न कराने के लिए तकरीबन 15हजार से अधिक पुलिसबलों के साथ – साथ करीब चार हजार स्वयंसेवी संस्थाओं के स्वयंसेवको की सेवा ली जा रही है। लेकिन इन सबके बीच ऐसा नही है कि यह पहली बार नही हुआ है,11मार्च के स्नान पर्व में लाल पीला पास का मामला सबके सामने है,सूचना विभाग जिसका काम प्रशासन एवं जनता के बीच जनसम्पर्क के लिए है,लगता है ,जनसम्पर्क से ज्यादा चापलूसी को तव्वजो दी जा रही हैं। गढ़वाल मण्डलायुक्त मीडिया से बेहतर समन्वय की सलाह देते है,लेकिन सूचना विभाग में खुद ही समन्वय का घोर अभाव दिखाई दे रहा है। कुम्भ के नाम पर नेशनल एवं इण्टर नेशनल मीडिया की बात बढ़ – चढ़कर की रही है। 01 अप्रैल को मेलाधिकारी दीपक रावत ने सुझाव मांगे थे,सुझाव दिये भी गये।मेलाधिकारी ने सुझावों पर अमल का आश्वासन दिया,लेकिन धरातल पर नतीजा ढाक के तीन पात। सूचना विभाग अथवा मेला प्रशासन की नजर में स्थानीय पत्रकारों का कोई सम्मान नही ,यही वजह है कि मेला पास भी ऐसे दे रहे है,जैसे मानो हमे बहुत बड़ा सम्मान मिला हो और पास देकर विभाग हम पर एहसान कर रहा है।

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