गांधी जयंती के दिन देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्थल से शहीद सम्मान साइकिल यात्रा रवाना हुई जो हर्रावाला, डोईवाला ,नेपाली फार्म, रायवाला होती हुई हरिद्वार पहुंची हरिद्वार में सप्त ऋषि चुंगी,शंकराचार्य चौक, सहगल पेट्रोल पंप बायपास और सिंह द्वार में साइकिल यात्रा का

लोगों ने जोरदार स्वागत किया। साइकिल यात्रियों को फूल माला पहनाई गई और उन पर पुष्प वर्षा की गई
शहीद सम्मान साइकिल यात्रा का आयोजन मुंबई के उत्तराखंड प्रवासियों के सामाजिक संगठन हस्तक्षेप ने किया था। यह साइकिल यात्रा 130 किलोमीटर का सफर तय करके मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे के शहीद स्थल पर पहुंची,जहां पर 2 अक्टूबर 1994 को उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने उत्तराखंड आंदोलनकारियों के ऊपर गोली बरसाई थी और कई उत्तराखंड आंदोलनकारी शहीद हो गए थे। उत्तराखंड के शहीदों की 28 वी पुण्य स्मृति के उपलक्ष पर यह साइकिल यात्रा निकाली गई थीं।
इस अवसर पर शहीद सम्मान साइकिल यात्रा के मुख्य संयोजक और हस्तक्षेप संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष केसर सिंह बिष्ट ने कहा कि यह साइकिल यात्रा रामपुर तिराहा कांड में शहीद हुए उत्तराखंड आंदोलनकारियों की याद में प्रथम बार निकाली जा रही है और यह यात्रा यहीं पर समाप्त नहीं होगी बल्कि पूरे देश में जारी रहेगी और जब तक उत्तराखंड के शहीदों के सपनों का राज्य नहीं बन जाता तब तक हम साइकिल यात्रा निरंतर जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 22 सालों बाद भी शहीदों के सपनों का उत्तराखंड राज्य नहीं बन पाया है जिसमें उत्तराखंड वासी और उत्तराखंड प्रवासी एक साथ रहकर राज्य के विकास के लिए कार्य कर सकें इस अवसर पर हरिद्वार में यात्रा के संयोजक राजेंद्र नाथ गोस्वामी ने कहा कि हम उत्तराखंड के शहीदों का राज्य बना कर ही दम लेंगे। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी त्रिलोक चंद्र भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड के शहीदों को पूरा करने के लिए किसी भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है जिससे उत्तराखंड राज्य के लोगों की भावनाओं को ठेस लगी है
इस अवसर पर साइकिल यात्रियों का उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सतीश जोशी,दिनेश लखेड़ा,विक्रम शाह,वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पाण्डेय,दीपक नौटियाल, बाल कृष्ण शास्त्री , अमित कुमार गुप्ता, ललित वालिया आदि ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया और फिर शहीद सम्मान साइकिल यात्रा में शामिल होकर मुजफ्फरनगर स्थित रामपुर तिराहे पर शहीद स्थल पर पहुंच कर शहीदों को श्रद्धांजलि दे कर समाप्त हुई और शहीद आंदोलनकरियों के सपनों का उत्तराखंड बनाने तक संघर्ष करते रहने का संकल्प लिया।

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