हरिद्वार आज दिनांक 12.01.21 को स्वामी विवेकानंद जी का 158 वां जन्मउत्सव पतञ्जलि विश्वविद्यालय में हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का उद्धघाटन पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर श्री महावीर अग्रवाल जी द्वारा दीप प्रवजलित कर आरम्भ किया गया इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं ने हिस्सा लिया साथ ही विश्विद्यालय ने स्वामी विवेकानंद जी के जन्मउत्सव पर एक राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसका शीर्षक स्वामी विवेकानंद जी के विचारों की उत्तराखंड राज्य के परिपेक्ष में प्रासंगिता था। इस प्रतियोगिता में छात्र व छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर अपनी प्रतिभागी दिखाई

स्वामी विवेकानद जी के जन्मउत्सव को उत्तराखण्ड सरकार ने भी काफी गंभीरता से लिया जिस कारण उत्तराखंड सरकार के शिक्षा सचिव के आदेश अनुसार सभी विश्वविद्यालयों में स्वामी विवेकानंद जी के जन्मउत्सव को विधिविधान से मनाने के आदेश दिए गए थे। आज के दिन को तब रंग आ गया जब पतंजलि के प्रति कुलपति ने अपने सम्बोधन में युवाओं को सत्य के मार्ग की ओर अग्रसरित ओर श्रेष्ठ व्यक्तित्व का विकास करने का आह्वान किया जिसे सुन हाल में बैठे युवाओ ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनके विचारों का स्वागत किया । प्रति कुलपति के विचारों को सुन कर सभी छात्र छात्राओं में गर्म जोशी का नजारा भी देखने को मिला।

इस निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन डॉ वैशाली गोड़ ने किया और आज के कार्यक्रम का कुशल सलचालन भी डॉ वैशाली गोड़ ने किया जहां पर उन्होंने स्वामी जी के विचारों को छात्र छात्रों में साझा कर और कहा कि स्वामी जी ने अपनी विचारो में युवाओं से अपील की थी कि वह उठे और जागे तब तक रुके नही जब तक वह अपना लक्ष्य की प्राप्ति नही कर लेते स्वामी जी के इस विचार मात्र से युवाओं में क्रांति का संचार होने लगा डॉ वैशाली ने कहा यह भारत तभी विश्वगुरु बन पाएगा जब हम श्रदेय स्वामी विवेकानंद जी के विचारों को अपने जीवन मे जगह देंगे

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