देवाल (चमोली)। बीते नौ सितम्बर से शुरू हुई नंदा लोक जात शुक्रवार को नंदादेवी की कैलाश विदाई के साथ ही संपन्न हो गई है। उच्च हिमालई क्षेत्र में नंदा सप्तमी के शुभअवसर पर नंदा भक्तों ने वेदनी सरोवर में आस्था की डुबकी लगा कर पुजा अर्चना कर नंदा देवी को कैलाश के लिए विदाई करने के बाद नंदा का उत्सव डोली वापस वांक गांव लौट गई है।

सिद्धपीठ कुरड से नौ सितम्बर से नंदा देवी लोकजात शुरू हुई थी। शुक्रवार को अपने 13वें पड़ाव वेदनी कुंड पहुंची। जहां भक्तों ने नंदा की डोली को कुंड की प्रतिक्रमा करवाई। नंदा चैक पर भक्तों के दर्शनार्थ रखा। जहां पर यात्रा में पहुंचे सैकड़ों भक्तों ने पूजा अर्चना कर मां नंदा का आशीर्वाद लिया और नंदा को कैलाश पर्वत की ओर विदा किया। नंदा देवी के पंडित दीपक कुनियाल, मनीष चन्द्र, सुभाष कुनियाल ने वेदपाठी मंत्रोच्चार कर यात्रा को सपन्न कराया। वेदनी कुंड में लोगों ने अपने पितरों का श्राद्ध और पिंडदान किया।   महिलाओं ने नंदा के मांगल गीत, झोड़ा, चांचडी लगा कर पूरा कैलाश नंदामय बना दिया था। नंदा के पुजारी कालीका प्रसाद ने बताया कि अब नंदा की उत्सव डोली यहां से वापस लौटेगी तथा 29 सितम्बर को नंदा के ननिहाल देवराडा ने छह माह के प्रवास के लिए रखा जाएगा।

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