नई दिल्ली : गुजरात स्थित साणंद में सेमीकंडक्टर संयंत्र का शिलान्यास कर भारत ने इस महीने एक और इतिहास रचा है। अरसे से सेमीकंडक्टर उद्योग लगाने का सपना अब साकार होने जा रहा है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबल एवं निर्णायक नेतृत्व को जाता है। उनकी अगुवाई में केंद्र सरकार ने विगत करीब साढ़े नौ साल के दौरान अनेक ऐतिहासिक फैसले लिए हैं, जिनमें भारत को सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनाने का निर्णय एक युगांतकारी कदम है। इससे देश में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अवसर के नए द्वार खुलेंगे और डिजिटल अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी।

विश्व को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से काम करने की नसीहत देने वाला भारत आज दुनिया की आर्थिक महाशक्तियों के लिए एक भरोसेमंद रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदार बनकर उभरा है। भारत की प्रौद्योगिकी समर्थित-प्रगति विकासशील देशों के लिए प्रेरक बन गई है। जबकि अत्याधुनिक व उन्नत प्रौद्योगिकी लैस विकसित देश भारत के साथ साझेदारी के अवसर तलाश रहे हैं। महज एक दशक पहले भारत से विदेशी निवेशक पलायन कर रहे थे आज यह देश उनके लिए निवेश का पसंदीदा ठिकाना बन गया है। कोविड की विषम परिस्थितियों से सक्षमतापूर्वक निपटने और आर्थिक गतिविधियों दोबारा पटरी पर लाने में भारत ने जो तत्परता दिखाई वह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गई है। महामारी के बाद बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत के आर्थिक विकास की तीव्र रफ्तार सबसे बड़ी वजह है प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्थाई सरकार, जो साहसिक फैसले लेती है।

गुजरात में सेमीकंडक्टर उद्योग के संयंत्र की स्थापना मोदी सरकार की इस महीने की एक और बड़ी उपलब्धि है। सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी अमेरिकी कंपनी माइक्रोन द्वारा गुजरात के साणंद में अपना पहला संयंत्र के लिए 23 सितंबर को भूमि-पूजन किये जाने साथ भारत ने सेमीकंडक्टर के अपने सफर का आगाज किया। इसके दो दिन पहले 21 सितंबर को संसद ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाले विधेयक पर मुहर लगाकर देश की आधी आबादी की दशकों से लंबित मांग पूरी की। नये भारत की नवीन परिकल्पना और अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित नव निर्मित संसद भवन में प्रवेश हमारे लिए एक सुनहरा पल था। इस नये संसद भवन में विशेष सत्र के दौरान ंपहले विधेयक के रूप में नारी शक्ति वंदन अधिनियम को पारित करवाकर मोदी सरकार ने वाकई इतिहास रचा हैै।

इससे पहले 17 सितंबर को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शिल्पकारों के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर देश के कारीगरों व शिल्पकारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया, जिससे 18 पारंपरिक व्यवसायों को नया जीवन मिलेगा। यह संयोग है कि नये भारत के शिल्पकार आदरणीय मोदी जी का भी जन्म-दिन 17 सितंबर ही है। इस महीने के आरंभ में देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत की अध्यक्षता में सर्वसम्मति से स्वीकृत नई दिल्ली घोषणा-पत्र में अभूतपूर्व फैसले लिए गए। शिखर-सम्मेलन में हिस्सा लेने आए राष्ट्राध्यक्षों ने भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करके शासन-व्यवस्था को सरल व पारदर्शी बनाने और नागरिकों को सशक्त करने की पहलों की खूब सराहना की।

भारत ने 2025-26 तक देश की जीडीपी में डिजिटल अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी 20 फीसदी से अधिक करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें इलेक्ट्राॅनिक्स उत्पादों की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी होगी। इलेक्ट्राॅनिक्स इकोसिस्टम में सेमीकंडक्टर का अहम स्थान है। आज इलेक्ट्राॅनिक उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले चिप का भारत आयात करता है, लेकिन जब देश में चिप बनने लगेंगे तो आयात पर निर्भरता घटेगी। इस तरह सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास से देश में इलेक्ट्राॅनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को गति मिलेगी। हालांकि माइक्रोन के सेमीकंडक्टर संयंत्र का निर्माण अभी भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग की विकास यात्रा का महज आरंभ है। लेकिन यह शुरुआत भी जिस अंदाज के साथ हुई है उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अन्य देशों के मुकाबले भारत बहुत कम समय में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बन सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 22 महीने पहले दिसंबर 2021 में 10 अरब डॉलर की राशि के साथ भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) को मंजूरी दी थी, जो भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक व्यापक दशकीय रोडमैप है। इस 10 साल में महज 10 अरब डाॅलर की राशि से हमने जितना हासिल करने का लक्ष्य रखा है उतना चीन 200 अरब डाॅलर खर्च करके 30 साल में भी नहीं कर पाया है। हमारा मकसद भारत को वैश्विक मानचित्र पर ऐसे सेमीकंडक्टर राष्ट्र के रूप में स्थापित करना है जो न सिर्फ अपनी घरेलू जरूरतों की पूर्ति करेगा बल्कि दुनिया की आपूर्ति शृंखला में अहम योगदान करेगा।

दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी माइक्रोन ने भारत में अपनी विनिर्माण इकाई स्थापित करने की घोषणा के महज तीन महीने बाद यहां संयंत्र निर्माण का काम शुरू कर दिया है। साणंद में जीआईडीसी-2 औद्योगिक क्षेत्र स्थित करीब 93 एकड़ के क्षेत्र कंपनी अपनी असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) केंद्र का निर्माण करेगी जिसे तैयार होने में करीब 18 महीने लग सकता है। बहरहाल, माइक्रोन पास में 10 एकड़ के परिसर स्थित एक फैक्टरी का अधिग्रहण करके पाइलट के तौर पर उसे अपनी एटीएमपी सुविधा के रूप में तैयार कर रही है।

माइक्रोन ने अपने पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 2.75 अरब रहने की घोषणा की थी जिसमें केंद्र सरकार की तरफ से 50 फीसदी प्रोत्साहन के साथ-साथ राज्य सरकारी की सब्सिडी भी शामिल है। निवेश की इस राशि से करीब 5000 नई प्रत्यक्ष और 15,000 सामुदायिक नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में माइक्रोन का यह संयंत्र भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। इससे अन्य प्रांतों को भी ऐसी क्रिटिकल प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अनुकूल इकोसिस्टम तैयार करने की नसीहत मिलेगी। प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी जी करीब 13 साल गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। उस दौरान उन्होंने राज्य के औद्योगिकी विकास के लिए अनुकूल पारिस्थितिक तंत्र और जरूरी बुनियादी सुविधाएं तैयार करने पर विशेष ध्यान दिया। नतीजतन, विदेशी निवेशकों के लिए गुजरात निवेश का एक आकर्षक ठिकाना बन गया है।

दुनिया के देश भारत को ग्लोबल इलेक्ट्राॅनिक्स सप्लाई चेन में एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में देख रहे हैं। विश्व की दिग्गज कंपनियां भारतीय युवाओं की मेधा शक्ति और कौशल के कायल हैं। सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्राॅनिक्स इकोसिस्टम के विकास से आने वाले दिनों में देश के युवाओं के लिए अवसर के अनेक दरवाजे खुलने वाले हैं जिससे देश की अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार होगा और भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को जल्द ही हासिल करेगा।

लेखक : राजीव चंद्रशेखर, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्राॅनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री हैं।

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